श्री देवरहा बाबा

पूज्य श्री देवरहा बाबा के एक अष्टांग सिद्ध महायोगी थे| उनकी महिमा अपरम्पार है, वो आज भी अपने अनन्य भक्तों को उनकी प्रेमा भक्ति के कारण यदा-कदा दर्शन देते रहते हैं| पूज्य बाबा इस धरा के ऐसे संत थे, जिनकी आयु आज भी एक रहस्य है| किसी ने उन्हें २५० वर्ष, किसी ने ५०० वर्ष तो किसी ने उन्हें १००० वर्षों का कहा| इस आश्चर्य को सुनकर लन्दन के आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से कुछ वैज्ञानिक आये और उन्होंने श्री बाबा के बाल, नाखून और आवाज को संग्रहित किया और खोज करने के लिए ले गए कि इस अमुक व्यक्ति की आयु क्या है? तब उन्होंने यह पाया कि यह नाखून और बाल जिसके भी हैं, वह मात्र ३ वर्ष का बालक है और यह आवाज जिसकी भी है वह ५००० वर्ष से अधिक पुरानी है| यही नहीं भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा० राजेन्द्र प्रसाद अपनी जीवन कथा में लिखते हैं कि जैसा मैंने पूज्य बाबा को अब देखा है, ऐसे ही जब मैं १० वर्षों का था और अपने दादा जी कि उंगली पकड़कर बाबा के दर्शनों के लिए जाया करता था, तब भी बाबा की ऐसी ही अवस्था थी| पूज्य बाबा त्रिबन्ध सिद्ध महायोगी थे| बाबा श्री को खेचरी मुद्रा सिद्ध थी, जिसके प्रभाव से ब्रह्मरन्ध्र में स्थित अमृत का तालु में जिह्वा लगाकर उसका रसपान किया करते थे, जिसके कारण उन्हें अन्न और फल को ग्रहण करने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी किन्तु हर १५ दिन पर, अंतड़ियाँ स्वस्थ रहें इन्स्लिये बाबा १०० ग्राम गौ दुग्ध १०० ग्राम जल मिलकर सेवन किया करते थे|

पूज्य बाबा जीवन पर्यन्त भारतवर्ष के पवित्र नदियों के तट पर नौ खम्भों के ऊपर, पृथ्वी से ८ फुट कि ऊंचाई पर बने लकड़ी के मंच पर सदैव निवास किया करते थे| जबसे बाबा समाज के संपर्क में आये तबसे उनका अधिकांश समय लगभग सन १८५० से १९८६ तक उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले, लार रोड में बीता| बाबा प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा से शिवरात्रि पर्यन्त सम्पूर्ण माघमास प्रयाग में कल्पवास किया करते थे| बाबा वस्त्र के नाम पर केवल मृगचर्म ही पहना करते थे| पूज्य बाबा स्थूल शारीर के अंतिम ४ वर्ष सन १९८६ से १९९० तक श्री धाम वृन्दावन में रहे और वहीँ पर १९ जून सन १९९०, आषाढ़ मास, कृष्ण पक्ष योगिनी एकदशी के दिन महासमाधि में लीन हो गए| पूज्य बाबा के दर्शन में आने वाले भक्तों में आजाद देश के समस्त प्रधानमंत्री सहित संत श्री विनोबाभावे, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन और अन्यान्य न जाने कितने लोग उनकी दर्शकदीर्घा में शामिल थे और आम जनमानस, तो प्रतिदिन उस समय साधन के अभाव में भी हजारों कि संख्या में दर्शन करता था| ऐसे थे पूज्य श्री देवरहा बाबा सरकार|